भारत में अंग्रेजों का आत्याचार
यह समय भारत में अंग्रेजों द्वारा आत्याचार, शोषण और अन्याय का भी समय था।
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आर्थिक शोषण: अंग्रेजों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को अपने हित में बदल दिया। भारत से उत्पादित सामग्री को सस्ते में खरीदा जाता था और उसे अंग्रेजी उद्योगों में प्रयोग किया जाता था। इसके बाद, फिर उसी सामग्री को महंगे में भारत में बेचा जाता था।
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धार्मिक आत्याचार: अंग्रेजों ने हमेशा हिन्दू-मुस्लिम आपसी विवाद को बढ़ावा दिया। वे 'बाँट और शासन' की नीति का पालन करते थे, ताकि वे भारत में अधिक और अधिक समय तक शासन कर सकें।
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भाषाई आत्याचार: अंग्रेजी भाषा को प्रमोट किया जाता था, और अक्सर भारतीय भाषाओं को तुच्छ समझा जाता था। यहाँ तक कि मकौले ने कहा था कि एक अंग्रेजी ग्रन्थालय अधिक मूल्यवान है भारतीय साहित्य से।
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सांस्कृतिक आत्याचार: अंग्रेजों ने हमेशा भारतीय संस्कृति और पारंपरिक मूल्यों को तुच्छ माना। वे अपनी वेशभूषा, अपनी शिक्षा प्रणाली और अपने समाजिक मूल्यों को हमेशा उच्च मानते थे।
यह अंग्रेजी शासन के कुछ ही पहलुओं का उल्लेख है। उनके आत्याचार और अन्याय की सूची बहुत लंबी है। हालांकि, यह भी सच है कि अंग्रेजों के आगमन से भारतीय समाज में कुछ सकारात्मक बदलाव भी हुए, जैसे कि रेल, डाक और दूरसंचार प्रणाली। फिर भी, उनके आत्याचार और अन्याय को हम कभी नहीं भूल सकते।