भारत में गठबंधन राजनीति

भारत में गठबंधन राजनीति

गठबंधन का सीधा अर्थ है दो या दो से अधिक पार्टियों का संघ। जब कोई एक पार्टी पूर्ण बहुमत नहीं पा सकती है, तो उसे सत्ता में रहने के लिए अन्य पार्टियों से सहयोग की आवश्यकता होती है।

भारतीय राजनीति में 1990 के दशक से ही गठबंधनों का महत्व बढ़ गया। इस समय के पहले, भारतीय जनता पार्टी (BJP) और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) जैसी बड़ी पार्टियां अधिकतर सत्ता में रहती थीं। हालांकि, समाजवादी, वामपंथी और क्षेत्रीय पार्टियों की उभरती प्रतिष्ठा के चलते गठबंधनों की जरूरत महसूस हुई।

इससे भारत में राजनीतिक स्थिति में बदलाव हुए। अब पार्टियों को अपने विचार और नीतियों में समझौता करना पड़ता है ताकि वे सत्ता में बन सकें।

गठबंधन राजनीति से भारत में एक नई पहचान का निर्माण हुआ है, जहां क्षेत्रीय पार्टियों को भी राष्ट्रीय स्तर पर महत्व मिला है। हालांकि, इससे भारतीय राजनीति में स्थिरता की कमी होती दिखाई पड़ती है, क्योंकि गठबंधनों का टूटना और बनना आम बात हो गई है।

अंत में, गठबंधन राजनीति ने भारतीय राजनीति को और भी जटिल बना दिया है, लेकिन यह भारतीय लोकतंत्र की जीवंतता और प्रतिस्पर्धा का प्रतीक भी है।

यह लेख भारतीय गठबंधन राजनीति की संक्षिप्त जानकारी प्रदान करता है। विस्तार से जानने के लिए और अधिक अध्ययन की आवश्यकता होती है।