दिवाली का त्यौहार कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दीपावली का त्यौहार कार्तिक माह अमावस्या को पूरे देश भर में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है दीपावली के दिन श्री रामचंद्र जी 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे अयोध्या के नागरिकों ने अपने घरों और पूरे शहर को दीपों से सजाया तब से दिवाली दिए जलाने और पटाखे पर कर मनाई जाती है
पौराणिक कथाओं के अनुसार दिवाली माता लक्ष्मी की मुक्ति काव्य प्रतीक है जिन्हें राजा बलि ने कैद कर लिया था तब भगवान श्री विष्णु ने भेष बदलकर उन्हें राजस्व बचाया जिससे कई क्षेत्रों में दिवाली का त्योहार हर्ष और उल्लास के साथ मनाया गया पौराणिक महत्व के अनुसार दिवाली का त्योहार अंधकार पर प्रकाश की विजय को दर्शाता है
कई सप्ताह पूर्व ही दीपावली की तैयारियाँ आरंभ हो जाती हैं। लोग अपने घरों, दुकानों आदि की सफाई का कार्य आरंभ कर देते हैं। घरों में मरम्मत, रंग-रोगन, सफेदी आदि का कार्य होने लगता है। लोग दुकानों को भी स्वच्छ कर सजाते हैं।दीपावली का त्योहार पांच दिनों तक चलने वाला पर्व है
सनातन धर्म में दिवाली पर्व का विशेष महत्व है धनतेरस से इस पर्व की धूमधाम पूरे देश में देखने को मिलती है
इस दिन विधि विधान से धन की देवी मां लक्ष्मी और विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश की पूजा अर्चना की जाती हैइस साल दीपावली 12 नवंबर को मनाई जाएगी दीपावली में पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 5:40 से शाम 7:36 तक होगा
दिवाली पर लोग अपने घरों को दिये, मोमबत्ती ,फूलों से सजाते हैं और रंगोली बनाते हैं