भारत में आधुनिकता और विकास की शुरुआत

भारत में आधुनिकता और विकास की शुरुआत

भारत के इतिहास में आधुनिकता और विकास का अवधारणा उसके प्राचीन वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन से लेकर ब्रिटिश शासन, स्वतंत्रता आंदोलन, और स्वतंत्रता के बाद के विकास में ही देखा जा सकता है।

आधुनिकता की शुरुआत भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद के दौरान हुई। ब्रिटिश सरकार ने भारतीय समाज की संरचना में बदलाव किये, जिससे भारतीय समाज में नए संघटनात्मक और धार्मिक समाज के रूप में परिवर्तन आया। इस युग में स्कूलों और कॉलेजों का विस्तार हुआ, जिसके फलस्वरूप शिक्षा के क्षेत्र में भी प्रगति हुई। अंग्रेजी की प्राथमिकता ने आधुनिक शिक्षा की ओर दिशा निर्धारित की।

स्वतंत्रता के पश्चात, नये भारतीय संविधान के साथ, आधुनिकता और विकास की नई दिशा मिली। भारत ने संविधानिक रूप से समानता, न्याय और भाईचारा को मान्यता दी। इसके अलावा, शिक्षा, स्वास्थ्य और विभिन्न सामाजिक क्षेत्रों में निरंतर प्रगति हुई।

भारत ने विभिन्न योजनाओं के माध्यम से आर्थिक विकास और उद्योगीकरण की दिशा में कदम बढ़ाए। इसके परिणामस्वरूप, देश की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ और जीवन में आधुनिकता और सुविधाओं का स्तर बढ़ा। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी भारत ने महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं।

फिर भी, भारत की आधुनिकता और विकास की यात्रा अधूरी है। गरीबी, अशिक्षा, असमानता, और सामाजिक रूप से वंचित लोगों की समस्याएं अभी भी विकास के रास्ते में बाधा बनती हैं। इसलिए, आधुनिकता और विकास के लिए हमें न केवल तकनीकी और आर्थिक प्रगति की ओर कदम बढ़ाने की जरूरत है, बल्कि सामाजिक न्याय और समानता की ओर भी कदम बढ़ाने की आवश्यकता है।