आईसीसी ने किया "बिम्सटेक एनर्जी" कॉन्क्लेव का आयोजन 

आईसीसी ने किया "बिम्सटेक एनर्जी" कॉन्क्लेव का आयोजन 

बिम्सटेक देशों के बीच सहयोग का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र ऊर्जा सहयोग और बिजली व्यापार को बढ़ाना है और बिम्सटेक ग्रिड इंटरकनेक्शन की स्थापना पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर उस दिशा में एक कदम है। इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स (आईसीसी) ने बिम्सटेक एनर्जी कॉन्क्लेव का आयोजन किया। इस अवसर पर भारत के उच्चायुक्त प्रणय वर्मा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। बांग्लादेश में भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा ने कहा है कि भारत-बांग्लादेश के लगातार गहरे होते रिश्ते की एक पहचान बिजली और ऊर्जा के क्षेत्र में बढ़ता सहयोग है। इ
सका एक महत्वपूर्ण उदाहरण भारत-बांग्लादेश मैत्री पाइपलाइन है जिसका उद्घाटन इस वर्ष मार्च में भारत और बांग्लादेश के प्रधानमंत्रियों द्वारा किया गया था, जो बांग्लादेश में प्रति वर्ष दस लाख मीट्रिक टन हाई-स्पीड डीजल को टिकाऊ, विश्वसनीय तरीके से परिवहन करने की क्षमता रखता है। 
उच्चायुक्त ने वर्तमान वैश्विक अनिश्चितताओं के संदर्भ में बिम्सटेक के तहत क्षेत्रीय सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत-बांग्लादेश संबंध बिम्सटेक की सहयोग वास्तुकला का एक महत्वपूर्ण आधार है। उच्चायुक्त ने कटिहार (भारत) - पारबतीपुर (बांग्लादेश) - बोरानगर (भारत) के बीच 765 केवी सीमा पार बिजली इंटरकनेक्शन के प्रस्ताव के महत्व और अंतर-क्षेत्रीय बिजली व्यापार में क्रांति लाने की इसकी क्षमता पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह परियोजना उप-क्षेत्र में एक समकालिक और मजबूत ग्रिड इंटरकनेक्शन विकसित करने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रारंभिक बिंदु हो सकती है जो ऊर्जा अधिशेष और कमी वाले क्षेत्रों के बीच बिजली के निर्बाध आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान कर सकती है।
उन्होंने आगे कहा कि इस तरह के इंटरकनेक्शन से क्षेत्र में स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन और ट्रांसमिशन को बढ़ावा देने वाले नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। डिजिटल कनेक्टिविटी के क्षेत्र में उच्चायुक्त ने कहा कि दोनों देश डिजिटलीकरण, नवाचार और उद्यमिता में सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से दोनों ओर से 50 स्टार्ट-अप के आदान-प्रदान के कार्यक्रम पर काम कर रहे हैं।
उच्चायुक्त वर्मा ने कहा कि भारत की विदेश नीति की आधारशिलाएं यानी "नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी" और "एक्ट ईस्ट पॉलिसी", दोनों बिम्सटेक में मिलती हैं। उन्होंने आगे कहा कि भारत बिम्सटेक ढांचे के तहत क्षेत्रीय सहयोग को गहरा करने की दिशा में गति बढ़ाने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है। 
(रिपोर्ट: शाश्वत तिवारी)