जन्माष्टमी का महत्व
जन्माष्टमी का इतिहास और कथा:
श्रीकृष्ण जब धरती पर अवतार लिए थे, तब कंस नामक राक्षस भूमि पर अत्याचार कर रहा था। उनका प्रलय करने के लिए ही श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। जन्माष्टमी के दिन लोग उनके जीवन की रसलीला, बाल लीला और महाभारत के संघर्षों को याद करते हैं।
त्योहार मनाने की परंपरा:
जन्माष्टमी के दिन भक्तजन उपवास रखते हैं और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा आयोजित करते हैं। मंदिरों में खास तरह की आराधना और पूजा की जाती है। मिठाईयों की भरमार होती है, जिसमें माखन और मिश्री सबसे प्रमुख हैं, क्योंकि यह माना जाता है कि श्रीकृष्ण को ये चीजें बहुत पसंद थीं।
शाम को 'दही-हांडी' का आयोजन होता है, जिसमें युवक एक दूसरे की मदद से माखन भरी हांडी तक पहुंचने की कोशिश करते हैं।
जन्माष्टमी का महत्व:
जन्माष्टमी का महत्व सिर्फ त्योहार मनाने में ही नहीं है, बल्कि यह हमें अधार्मिकता, अन्याय और बुराई के खिलाफ संघर्ष करने की प्रेरणा भी देता है। श्रीकृष्ण का जीवन हमें धर्म, कर्तव्य और प्रेम का महत्व समझाता है।
अंत में, जन्माष्टमी हमें यह सिखाता है कि हर बुराई का अंत होता है और अच्छाई हमेशा जीतती है। यह त्योहार हमें धार्मिक मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है और हमें अपने जीवन में सही मार्ग दिखाता है।