भारत में शिक्षा का विकास
इस लेख में हम भारत में शिक्षा के विकास की यात्रा पर चर्चा करेंगे।
प्राचीन भारत में शिक्षा: प्राचीन भारत में गुरु-शिष्य परंपरा का अद्वितीय महत्व था। शिक्षा का केंद्रीय स्रोत आश्रम और गुरुकुल थे, जहाँ गुरु अपने शिष्यों को धार्मिक और सामाजिक शिक्षा प्रदान करते थे।
मध्यकालीन भारत में शिक्षा: इस समय में भारत में अनेक प्रसिद्ध पाठशालाएं और विश्वविद्यालय स्थापित हुए, जैसे कि नालंदा, तक्षशिला आदि।
ब्रिटिश शासन में शिक्षा: ब्रिटिश आधिकारिकों ने अंग्रेजी भाषा में शिक्षा प्रणाली की स्थापना की और शिक्षा को सामाजिक और धार्मिक जीवन से अलग किया।
स्वतंत्रता के बाद का विकास: 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त होने के बाद, भारत में शिक्षा की प्रणाली में बड़े परिवर्तन हुए। सरकार ने अनेक योजनाएं बनाई, जैसे कि सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय शिक्षा नीति, आदि।
आधुनिक युग में शिक्षा: डिजिटल युग में भारत में शिक्षा के क्षेत्र में भी विप्लव आया है। ऑनलाइन शिक्षा, वर्चुअल क्लासरूम, डिजिटल लाइब्रेरियां आदि ने शिक्षा की पहुंच को बढ़ाया है।
निष्कर्ष: भारत में शिक्षा का विकास समय समय पर अनेक चुनौतियों का सामना करते हुए हुआ है, लेकिन शिक्षा की महत्वपूर्णता और उसकी प्रासंगिकता कभी कम नहीं हुई है। आज भी शिक्षा भारतीय समाज के विकास और प्रगति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।